केन्द्र सरकार अपने कर्मचारियों के
वेतनमान में संशोधन करने के लिए हर 10 साल में वेतन आयोग का गठन करती है और
अक्सर इसमें हुये कुछ संशोधनों को बाद में राज्यों द्वारा अपनाया जाता है।
सातवें वेतन आयोग को केन्द्र सरकार
के लगभग 48 लाख कर्मचारियों के वेतन और करीब 55 लाख पेंशनरों में संशोधन किये जाने
हेतु न्यायमूर्ति एके माथुर की अध्यक्षता में दिसंबर 2015 तक रिपोर्ट प्रस्तुत
करने का समय दिया गया है।
यद्यपि अभीतक आयोग द्वारा वित्त
मंत्रालय को सातवें वेतन आयोग संबधी रिपोर्ट सौंपी नही गई है, फिर भी सरकार
राजकोषीय चिंताओं के प्रति जागरूक है। यह निश्चित है कि 1 जनवरी 2016 से सातवें
वेतन आयोग के लागू हो जाने के उपरान्त केन्द्र सरकार के खजाने में भारी बोझ पङेगा।
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