भारतीय डाक विभाग विश्व का सबसे बङा
डाकतंत्र है। डाक सेवाओं की उपयोगिता को देखते हुये यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की ओर
से प्रत्येक वर्ष 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है। विश्व डाक दिवस
मनाये जाने का प्रमुख उद्देश्य डाक विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जा रही विभिन्न योजनाओं
से ग्राहकों को अवगत कराना , उन्हे जागरूक करना है। इसके अतिरिक्त भारतीय डाक
विभाग कई तरह के विविध कार्यों की सुविधा भी प्रदान करता है।
डाक इतिहास
भारत में डाक का इतिहास बहुत पुराना
है। देश में सन् 1766 में लार्ड क्लाइव ने पहली बार डाक व्यवस्था स्थापित की थी।
फिर सन् 1774 में वाँरेन हेस्टिंग्स ने कोलकाता में प्रथम डाकघर स्थापित किया। सन्
1852 में लेटर के ऊपर लगाये जाने वाले डाक टिकट की शुरूआत हुई थी।
विश्व डाक दिवस की शुरूआत
सन् 1874 में हेनरिक वाँन स्टेपहान,
जोकि उत्तर जर्मन परिसंघ के वरिष्ठ डाक अधिकारी थे, के सुझाव के आधार पर स्विटजरलैण्ड
सरकार ने 15 सितम्बर 1874 को बर्न में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया,
जिसमें 22 राष्ट्रों ने भाग लिया। उसी वर्ष 9 अक्टूबर 1874 में जनरल पोस्टल यूनियन
के गठन के संबध में स्विटजरलैण्ड में सभी 22 देश नें एक संधि पर हस्ताक्षर किये
थे। इसलिए 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 22 राष्ट्रों
के मध्य 9 अक्टूबर 1874 को हुई यह संधि 1 जुलाई 1874 को अस्तित्व में आई थी। 1
अप्रैल 1879 को जनरल पोस्टल यूनियन का नाम परिवर्तित कर यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन
कर दिया गया। 1 जुलाई 1876 को भारत यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की सदस्यता लेने वाला
प्रथम एशियाई देश बना गया था। इसके पश्चात भारत में लगातार डाक सेवाओं का
प्रचार-प्रसार बहुत रफ्तार से आगे बढने लगा।
डाक सप्ताह
भारतीय डाक 9 अक्टूबर से 14 अक्टूबर
तक विश्व डाक सप्ताह के रूप में मनाता है। इस दौरान विभिन्न डाकघरों में सप्ताह के
प्रत्येक दिवस को अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित होते है एवं डाक विभाग की विभिन्न लाभदायक
योजनाओं के बारे में लोगों को अवगत कराया जाता है।
डाकघर की विभिन्न योजनाएँ
भारतीय डाक विभाग डाकपत्रों को
गंतव्य स्थान तक पहुँचाने के अतिरिक्त. आम नागरिकों को अपनी विभिन्न योजनाओं के
माध्यम से बहुत सी सुविधाएँ प्रदान करता है। डाकघर सेविंग बैंक के रूप में भी
कार्य करता है। जिसमें डाकघर बचत खाता , 5 वर्षीय आवर्ती जमा खाता, सावधि जमा
खाता, मासिक आय खाता, लोक भविष्य निधि खाता, राष्ट्रीय बचत पत्र एवं वरिष्ठ नागरिक
बचन खाता इत्यादि कई महत्वपूर्ण योजनाएँ कार्य करती है। इसके अतिरिक्त डाक विभाग
स्पीड पोस्ट, रजिस्ट्री , पार्सल इत्यादि सुविधाएँ भी प्रदान करता है। कुछ समय
पूर्व सरकार की ओर से सुकन्या समृद्वि योजना भी प्रारम्भ की गई है।
आधुनिक युग में डाक विभाग
निश्चित रूप से आज के आधुनिक युग में
जहाँ लगभग सभी आम नागरिकों के पास मोबाईल सेवा उपलब्ध है, ऐसे में यह प्रश्न उठता
है कि डाक विभाग कितने दिन तक वजूद में रह पायेगा। इस स्थिति को ध्यान मे रखते
हुये डाक विभाग भी अपने सभी डाकघरों को वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से ढाल रहा
है और नागरिकों के लिए विभिन्न तरह की कई नई-नई फायदेमंद योजनाओं को क्रियान्वित
कर रहा है। भारत देश मे लगभग 1 लाख 55 हजार डाकघर कार्यरत है। डाक विभाग ही ऐसा
विभाग है जिसकी शाखा दूरस्त से दूरस्त गाँव में भी उपलब्ध है। डाक विभाग इसी का
फायदा उठाते हुये आधुनिक समय की रफ्तार से आगे बढ रहा है। धीरे-धीरे लगभग सभी
डाकघर कम्प्यूट्रीकृत किये जा रहे हैं। कुछ समय पूर्व डाक विभाग को पेमेन्ट बैंक
का लाईसेन्स भी प्राप्त हो गया है। बैंकिग योजनाओं के अतिरिक्त डाकविभाग बिजनेस
सुविधाओं की ओर भी खासा ध्यान केन्द्रित कर रहा है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि
आधुनिक युग में भी डाकविभाग पूर्ण रूप से अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोङते
हुये प्रतिस्पर्धा की दौङ में फिलहाल आगे बढने में सफल रहा है।
भारतीय डाक विभाग की ई-पुस्तक
भारतीय डाक विभाग की वेबसाईट http://www.indiapost.gov.in
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की जा सकती है। इस पुस्तक में स्वच्छ भारत अभियान, डाक-पार्सल, ई-वाणिज्य, डाक टिकट संग्रह, डाक जीवन बीमा इत्यादि के बारे में जानकारी उपलब्ध
कराई गई है।